भारत को हराकर ऑस्ट्रेलिया ने छठी बार ICC पुरुष एकदिवसीय विश्व-कप का ख़िताब जीता।
भारत के लिए हार का दुख तो है, मगर ये भी सच है कि ऑस्ट्रेलिया की टीम मेंटल स्ट्रैंथ में बाक़ी टीमों से मीलों आगे हैं। उनके पास एक से ज़्यादा मैच विनर हैं। वो किसी भी सूरत में घबराते नहीं।
इंडिया ने 10 ओवर में 80 रन बनाकर शानदार स्टार्ट किया तो ट्रेविस हेड ने रोहित का असंभव सा कैच लेकर मैच में कमबैक करवा दिया। अगले ओवर में श्रेयस का विकेट गिरा और इंडियन टीम dominating position से बैक फुट पर आ गई। इतना बैकफुट पर आई कि आखिरी चालीस ओवर में हमने सिर्फ चार चौके लगाए। हम 3 विकेट गिरने पर पहले खेलते हुए भी घबरा गए और ऑस्ट्रेलियाई टीम फाइनल मैच में चेज़ करते 47 पर 3 विकेट गंवाने के बाद भी प्रेशर में नहीं आई। बाकी टीमों में दो-तीन मैच विनर हैं। लेकिन ऑस्ट्रेलिया टीम ऐसी है जिसमें हर प्लेयर मैच विनर है। आज वार्नर, स्मिथ नहीं चले तो ट्रेविस हेड और लाबुशेन चल गए। वो भी नहीं चलते तो पीछे मैक्सवेल पड़े थे। इंडिया ने पूरे वर्ल्ड कप में बहुत अच्छा खेला लेकिन बड़े मैच का टेम्परामेंट अभी भी ऑस्ट्रेलिया का सबसे शानदार है। इसीलिए वो छठी बार वर्ल्ड कप जीत गए और हम पूरे टूर्नामेंट में शानदार खेलने के बावजूद आख़िरी पड़ाव पर फिसल गए।
मगर अच्छी बात ये है कि एक वक़्त जो टीम इंडिया consistently semifinal में भी नहीं पहुंचती थी,वो 2011 के बाद से लगातार सेमीफाइनल में पहुंच रही है। इस बार तो हम फाइनल में भी पहुंचे। जैसे हमने आख़िरी चार में पहुंचने को आदत बना लिया है,वैसे ही हम टूर्नामेंट जीतने के भी आदी हो जाएंगे। टीमों का चरित्र बनने में, जीत का डीएनए तैयार होने में पीढ़ियाँ लगती हैं। हम उसी रास्ते पर हैं। बहुत मुबारक़ टीम इंडिया। कोई बात नहीं।👍🙏
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